श्रीरंगलक्ष्मी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय

वृन्दावन, मथुरा , उत्तर प्रदेश, भारत

(शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार एवं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी, नई दिल्ली की आदर्श योजना के अंतर्गत)

संस्थान के विषय में

श्रीरंगलक्ष्मी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, वृन्दावन (मथुरा)

उत्तर भारत में श्रुतिस्मृति सिद्ध विशिष्टाद्वैतदर्शन के प्रचार प्रसार का प्रमुख केन्द्र श्रीधाम वृन्दावन स्थित श्रीरंगमन्दिर है। इस दिव्य देश (मन्दिर) की स्थापना परमपूज्य अनन्त श्रीविभूषित श्रीरंगदेशिक स्वामी जी महाराज (गोवर्धन पीठाधीश्वर ) द्वारा संवत् १६०४ में की गई। उनके विद्वत् प्रवर शिष्यों श्रीसुदर्शनाचार्य, श्रीलक्ष्मणाचार्य, श्रीगोविन्ददास आदि ने महाराजश्री से निवेदन किया कि गुरुमाताजी श्रीलक्ष्मी अम्बा की स्मृति सदा बनी रहे और सुधीजनों को श्रुति दुग्धामृत सदा प्राप्त होता रहे इसके लिए एक संस्कृति समुन्नायक संस्कृत महाविद्यालय की माताजी के नाम से स्थापना हो यह हमारी अभिलाषा है। श्रीस्वामीजी महाराज की अनुमति मिलने पर विक्रम संवत् १६०६ में श्रीरंगलक्ष्मी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की गयी। यह महाविद्यालय दि.01.07.1978 से भारत सरकार की आदर्श योजना में गृहीत है। इससे पूर्व महाविद्यालय उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अनुदानित था सञ्चालित था। सर्वप्रथम राजकीय संस्कृत कॉलेज वाराणसी की कक्षायें तदनन्तर वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की कक्षायें तत्पश्चात एवं वर्तमान में भी सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की शास्त्री एवं आचार्य की कक्षायें सभ्चालित हो रही हैं।
इस प्रकार 174 वर्षों से यह महाविद्यालय निरन्तर संस्कृत संस्कृति एवं दर्शन के प्रचार प्रसार में निरत है। अनेक विशिष्ट विद्वानों ने महाविद्यालय के प्रधानाचार्य (प्राचार्य) पद पर सेवा करते हुए इस महाविद्यालय की वृद्धि की है। इनमेंश्रीसुदर्शनाचार्य शास्त्रीजी महाराज, श्रीगरुड़ध्वजाचार्य जी. श्रीअमोलकरामजी शास्त्री, श्रीसीतारामाचार्यजी, श्रीरामलखनजी पाण्डेय, श्रीरामादर्शजी पाण्डेय (इन्हीं के कार्यकाल में भारत सरकार ने महाविद्यालय को आदर्श योजना में गृहीत किया) डॉ. मुरारि लाल जी चतुर्वेदी तथा डॉ. रामकृपाल त्रिपाठीजी भी आदर्श योजनान्तर्गत महाविद्यालय के प्राचार्य पद पर आसीन हुए। इस लम्बे अन्तराल के बीच-बीच में कार्यवाहक प्राचार्य पद पर कार्य करने वाले महानुभाव हैं- श्रीरासबिहारी लाल जी गोस्वामी, श्रीसदाशिवजी शास्त्री, श्रीहीरालालजी शास्त्री, डॉ० प्राणगोपालाचार्यजी आचार्य रामसुदर्शन मिश्रजी आदि वर्तमान में भी प्रभारी प्राचार्य के रूप में डॉ अनिलानन्द जी कार्यवाहक प्राचार्य पद का कार्य सम्पादित कर रहे हैं।

श्रीरंगमंदिर ट्रस्ट बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष अनंत श्रीविाचार्य स्वामी श्रीगोर्वधन रंगजी महाराज गोवर्धन पीठाधीश्वर के वरदहस्त की छत्र छाया में श्रीगोंगमन्नार भगवान की कृपा से वर्तमान समय में यह आश्रम अपने लक्ष्य की ओर रासायनिक उद्योग हो रहा है।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से न्याय व्याकरण, वेदांत एवं साहित्य विषयक आचार्य पर्यंत प्रतिष्ठित शिक्षण महाविद्यालय को प्राप्त है।

 

 

दृष्टि

 महाविद्यालय के नवउत्थान एवं देववाणी को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर भारतीय संस्कृति, सभ्यता की पुनर्स्थापना करना।

लक्ष्य

1. महाविद्यालय को संस्कृत भाषा का मुख्य केन्द्र बनाना।

2. शास्त्रीय ग्रन्थों का अध्ययन-अध्यापन कराना।

3. भारतीय ज्ञान परम्परा का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार कर छात्र-छात्राओं का यथोचित ज्ञानवर्धन।

4. आधुनिक भाषाओं के साथ-साथ संस्कृत भाषा का सह सम्बन्ध बताना।

5. संस्कृत भाषा को जनभाषा बनाना।

6. संस्कृत भाषा को विविध कला कौशल से जोड़ना।

उद्देश्य

1. भारतीय ज्ञान परम्परा का अधिकाधिक प्रचार प्रसार।

2. संस्कृत भाषा के माध्यम से भारतीय शिक्षा प्रणाली को पुष्ट करना।

3. वैदिक ग्रन्थों का संरक्षण एवं संवर्धन ।

4. संस्कृत भाषा का आधुनिक भाषाओं पर पड़े प्रभाव को रेखांकित कर नवाचारी शिक्षा को प्रोत्साहन देना।

5. विविध कलाओं के विकास में संस्कृत भाषा की महत्त्ता एवं छात्र-छात्राओं का सर्वागीण विकास करना।

6. संस्कृत भाषा को रोजगार परक बनाना और जीविका के नये नये अवसरों की खोज कर छात्र-छात्राओं का क्षमतानुसार समायोजन करवाना।